मंगलवार, 15 अप्रैल 2008

एक गैर–राजनीतिक कदम

इस मुलाकात से भले ही इतिहास नहीं बदला जा सकता लेकिन, इंसानियत का चेहरा कुछ निखर सकता है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की बेटी जेल में अपने पिता के कातिल , नलिनी श्रीहरन से मिली । नलिनी से प्रियंका की इस मुलाकात ने , किसी मसले को हल नहीं किया लेकिन गुस्से और तकलीफ से आहत दिलों को आराम जरूर देगी । प्रियंका ने कई सवाल पूछे – ऐसे कई सवाल जिनके जवाबों की दरकार नहीं थी लेकिन शायद चुप्पी तोड़ने का कोई और रास्ता नहीं रहा हो। प्रियंका 17 साल पुरानी अपनी लड़ाई को खत्म करने का इससे बेहतर जरिया नहीं तलाश सकती थी । और नलिनी पश्चताप का इससे बेहतर मौका। कानून ने तो सिर्फ अपराध की सजा दी लेकिन प्रियंका ने नलिनी की आत्मा पर लगे दागों को कुछ हल्का करने का प्रयास किया है । सार्वजनिक या राजनीतिक तमाशे से दूर प्रियंका ने अपने पिता के कातिल से कहा कि वे एक अच्छे इंसान थे और नलिनी ने बताया कि अनाथ होने के कारण उसने कभी प्यार नहीं पाया । और शायद इसी लिए थोड़ी सी सहानुभूति दिखा कर उसे राजीव हत्याकांड में शामिल कर लिया गया । हांलाकि उसे इन सबके पिछे मौजूद असली चेहरे का पता नहीं है। अब शायद इतना कह भर देने से नलिनी के लिए सांस लेना कुछ आसान हो जाए। लेकिन सवाल यह भी है कि क्या वाकई नलिनी को कुछ पता नहीं है और क्या प्रियंका भावनाओं की आड़ में अपने पिता की हत्या में शामिल ऐसे लोगों की पहचान करने गई थी , जो अब तक बेनकाब है।
प्रियंका का चाहे जो भी मतलब हो -- ये मुलाकात नलिनी के लिए काफी मायने रखती है।

2 टिप्‍पणियां:

sanjay patel ने कहा…

आपकी बात पूरी तरह से ठीक है लेकिन इसमें किसी तरह की राजनैतिक बू को तलाशना बेमानी होगा. इसे पूरी तरह से मानवीय पसेमंज़र में ही देखा जाना चाहिये.हाँ ये ज़रूर जाँचा जाना चाहिये कि प्रियंका ने नलिनी से भेंट बतौर काँग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी की बेटी के रूप में की या एक दिवंगत पिता की बेटी के रूप में .....और इस भेंट के लिये प्रियंका ने सामान्य प्रशासनिक और क़ानूनी औपचारिकता को पूरा किया था या नहीं....दोनो बातों में फ़र्क़ है...(मुझे इसकी तफ़सील बताने की कोई ज़रूरत है क्या ?)

Neelima ने कहा…

मानवीयता और राजनीति में इतनी ओवरलैपिंग ! क्या कहें !