कमबख्त, ऐसी हालत में भी राधिका- राधिका चिल्ला
रहा है। उम्र कोई 22 साल की होगी। अभी थोड़ी देर पहले मैक्स अस्पताल में इसे लाया गया
है। वह जो बदहवास सा दिख रहा है, शायद भाई है इस लड़के का। पलक झपकते डॉक्टर्स की
पूरी टीम उसके इलाज में लग गई है। एक डॉक्टर ने घुटना उसके पेट से लगा रखा है।
दूसरा डॉक्टर मुंह में पतला तार डालने की कोशिश कर रहा है। “क्या
खाया है ?”- सीनियर डॉक्टर जरा गुस्से में पूछते हैं।“राधिका नहीं
आई ?” उस पर जैसे जुनून तारी है।–“राधिका तो नहीं
आयेगी बेटा..पुलिस आ रही है..जल्दी बता क्या खाया है?”—“घर
में ढ़ेर सारे कॉम्बीफ्लेम और पैरासिटामोल के टेबलेट रखे थे, सब खा लिए”।–
“यू डफर”- । सीनियर डॉक्टर की आवाज चीखने की हद तक तेज हो
जाती है। -- “उल्टी कराओ इसकी फास्ट”।– “राधिका-
राधिका”। “चुप हो जा नहीं तो मार खायेगा”- इस बार भाई बोलता है। डॉक्टर को तसल्ली नहीं है- “किसी
को घर भेजो...पता करो इसने कुछ और तो नहीं खाया...जल्दी करो”। थोड़ी देर
में घबराई हुई एक महिला आती है- मां हैं शायद। “
चिंता की बात नहीं है...हम पेट से दवाईयां निकाल रहे हैं...हां अगर इसने कुछ और
खाया हो तो...देखते हैं”। तीन घंटे बाद डॉक्टर्स थोड़े निश्चिंत दिखाई दे
रहे हैं। “पागल है यार…गर्लफ्रेंड से मामूली झगड़ा हो गया...बात
भी क्या थी...कहीं डेट-वेट पर जाने से उसने इँकार कर दिया था..लड़के ने कारनामा कर
दिया..ठीक है अब”। अस्पताल में डेंगू के मरीजों का तांता लगा है।
मेरे दोस्त भी पड़े हुए हैं। कमीना, अपनी मेहबूबा को प्रेम और प्लेटलेटस का फंडा
समझा रहा है। कहता है- “तुम्हे देखता रहूं तो डेढ़ घंटे में प्लेटलेटस
डेढ़ लाख हो जायेगा”। आज के दिन की शुरुआत ही खराब हुई है। अस्पताल आने
के लिए वैशाली से ऑटो में चढ़ा। ऑटो में राष्ट्रकवि समीर द्वारा रचित एक महान
रोमांटिक गाने को मुन्ना अजीज और अनुराधा पौडवाल, भांय-भांय गा रहे थे। ड्राईवर
नौजवान था,इसलिए उसकी नजर बार- बार एक किनारे बैठी नायिका की ओर फिसल रही थी।
पट्ठे ने एक मोड़ पर वो धक्का मारा कि सब कुछ टूटते-टूटते बच गया। अस्पताल से लौटा
हूं...सही सलामत।
सोमवार, 15 अक्तूबर 2012
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1 टिप्पणी:
ऐसी ही छिटपुट बारीक़ घटनाओं में ज़िंदग़ी के अनुभव सबसे गहरे बसे होते हैं। हाल के दिनों में मैं इसी पद्धति से ट्रांसफोर्मेशन अचीव करने की कोशिश कर रहा हूं। ऐसा और लिखिए सर। ऐसा बहुत कम लोग लिख रहे हैं।
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