गुरुवार, 15 अप्रैल 2010
सानिया और संगीता
सानिया मिर्जा की शादी में देश और खासतौर पर मीडिया ने बड़ी रूचि दिखाई । रोने गाने वाले अपनी- अपनी कला की नुमाईश करते नजर आए। बहरहाल शादी हो गई और देश की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा । ऐसा लगता था कि सानिया की शादी के बाद देश पर भारी आपत्ति आने वाली है। देश की शान, सानिया जब पाकिस्तान की नूरे नजर हो जाएंगी तो भारतवासियों की गर्दन को हमेशा के लिए लकवा मार जायेगा । लटकी रह जायेगी बेचारी । कहने वाले तो सानिया की बिदाई को कोहेनूर हीरे की जुदाई से जोड़ कर देख रहे थे । और इसीलिए जार जार टेसू बहा रहे थे । बहरहाल तमाशा नहीं हुआ और बड़े आराम से सानिया के हाथों पर मेंहदी सजी और वो दुल्हन भी बन गईं ।बहरहाल सानिया को देश की ओर से एक बड़ा ही हसीन तोहफा मिला है। उज्जैन के एक दंपत्ति ने कुछ साल पहले सानिया की उपलब्धियों से प्रभावित होकर अपनी बेटी का नाम सानिया रखा। अब उन्होने इसका नाम बदलकर संगीता रख दिया है । इस तरह सानिया अब संगीता हो गई है । जी, हमारी अपनी सानिया शादी के बाद हमारे लिए इस हद तक परायी हो गयी कि अब उसका नाम भी गंवारा नहीं । बात बड़ी साफ है । राष्ट्रवाद की कच्ची समझ के कारण उज्जैन के इस दंपत्ति को सानिया से अचानक नफरत हो गई । वैसे संगीता अगर सानिया ही रहती तो क्या फर्क पड़ता । अपने खेल से देश को सम्मान दिलाने वाली सानिया हमें टेनिस की वजह से ही अजीज है । वैसे ही जैसे किसी दौर में स्टेफी ग्राफ या अब विलियम्स बहने हैं । स्टेफी शादी के बाद अगर अमेरिका चलीं गयीं तो क्या ये तकलीफ किसी जर्मन को हुई होगी । खेल और राष्ट्रवाद का रिश्ता तो फिर भी समझ में आता है लेकिन किसी खिलाड़ी की निजी जिन्दगी को राष्ट्रीय धरोहर मान लेना क्या ठीक है । खैर इस मुद्दे पर अलग अलग राय हो सकती है । बहरहाल मेरी तरफ से सानिया को ढ़ेर सारी शुभकामनाएं । संगीता को भी ढ़ेर सारा प्यार ।
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3 टिप्पणियां:
शीर्षक में अपना नाम और सानिया से कोई संबंध देखने के लिए इसपर क्लिक किया .. पूरा किस्सा जानकर बडा अजीब लगा !!
सही कहा आपने उनके मन में कच्ची राष्ट्रवाद है। सिर्फ नाम रख देने से आप राष्ट्रवादी नहीं हो जाते। देश में कई समस्याएं हैं यदि आप राष्ट्रवादी हैं तो फिर उन समस्याओं को हल करने में अपना योगदान दें।
इंतजार खत्म हुआ बड़े दिनों बाद लिखा पढ़ा हुआ आपके साथ
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