tag:blogger.com,1999:blog-5454544549183158526.post8130227051649552302..comments2023-02-23T06:31:22.753-08:00Comments on हलफ़नामा: पतझड़ के बाद का दुखप्रभात रंजनhttp://www.blogger.com/profile/04691009431273824905noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-5454544549183158526.post-45119102627641986132008-09-13T08:44:00.000-07:002008-09-13T08:44:00.000-07:00रोज टूटते हैं पत्ते- दरख्त नहीं मैं जानती हूं पतझड...रोज टूटते हैं <BR/>पत्ते- <BR/>दरख्त नहीं मैं जानती हूं <BR/>पतझड़ के बाद का दुख -----------सुनंदा आपने बहुत सलीके से अपनी बात कही है।मुकुंदhttps://www.blogger.com/profile/11660446752434479913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5454544549183158526.post-72855215357420479822008-09-02T21:18:00.000-07:002008-09-02T21:18:00.000-07:00raviwar में आपका लिंक देखा तो लगा कि पता नहीं क्या...raviwar में आपका लिंक देखा तो लगा कि पता नहीं क्या होगा. शायद अरविंद जैननुमा कोई बात. लेकिन यहां तो मामला ही दूसरा है. कविताएं तो बहुत सुंदर हैं. रही बात कविता होने या न होने की तो यह संशय तो आज भी अशोक वाजपेयी को भी है और विष्णु खरे को भी.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5454544549183158526.post-55639108517209979222008-08-25T04:01:00.000-07:002008-08-25T04:01:00.000-07:00अक्कड़ बक्कड़ बम्बे बो ...................तीसरा मु...अक्कड़ बक्कड़ बम्बे बो ...................तीसरा मुर्तक बहुत बढञिया है..........अभिषेक पाटनीhttps://www.blogger.com/profile/10218693023761216554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5454544549183158526.post-70969820652036383102008-08-20T10:07:00.000-07:002008-08-20T10:07:00.000-07:00वाह! बहुत सुन्दर.बहुत उम्दा.यहाँ प्रस्तुत करने का ...वाह! बहुत सुन्दर.बहुत उम्दा.<BR/><BR/>यहाँ प्रस्तुत करने का आभार.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com