tag:blogger.com,1999:blog-5454544549183158526.post1790707487476639039..comments2023-02-23T06:31:22.753-08:00Comments on हलफ़नामा: उफ ये तेरी हठधर्मिताप्रभात रंजनhttp://www.blogger.com/profile/04691009431273824905noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5454544549183158526.post-15955618323840188012010-04-21T07:52:43.553-07:002010-04-21T07:52:43.553-07:00लिखने सोचने का कोई पैमाना नहीं होता। इसी का फायदा ...लिखने सोचने का कोई पैमाना नहीं होता। इसी का फायदा लोग उठाते हैं। कोई भी कभी भी किसी बड़े विद्वान को झटके में खारिज कर देता है। पांच छह शब्दों के वाक्य लिखना बेहद मुश्किल काम है। बहस इस बात पर भी होनी चाहिए कि हमारे कितना क्लिष्ट और आसान शब्दों के लिखने की सीमा क्या होसुबोधhttp://www.umeedhai.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5454544549183158526.post-58748174582421517132010-04-21T06:47:21.353-07:002010-04-21T06:47:21.353-07:00महत्वपूर्ण बात है कंटेंट ...हाँ एक शानदार किस्सागो...महत्वपूर्ण बात है कंटेंट ...हाँ एक शानदार किस्सागो किसी साधारण से किस्से को दिलचस्प बना सकता है ओर यही एक अच्छा लिखने वाले को दूसरो से अलग करता हैडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.com